सीएसआईआर-एनबीआरआई में आयोजित हुआ प्रयोगशाला कार्यक्रम
सीएसआईआर-एनबीआरआई (वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय वानस्पतिक अनुसंधान संस्थान) लखनऊ में प्रयोगशाला समारोह में गुरुवार को ‘जलवायु परिवर्तन, सूक्ष्जीवी एवं पर्यावरणीय प्रौद्योगिकियां’ पर अनुसंधान एवं विकास प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि देश में आज उत्पादन एवं उत्पादकता दोनों को ही बढ़ाये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि उत्तर प्रदेश की कृषि एवं वानिकी पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को देखते हुए भविष्य के लिए योजनाबद्ध तरीके से समाधान तलाश किये जाने की दिशा में प्रयास करें। उन्होंने प्रदेश में आर्सेनिक के कृषि पर दुष्प्रभावों के समाधान की दिशा में हल ढूंढने के लिए भी जोर दिया।
पुष्प कृषि एवं फूलों के भंडारण की दिशा में आने वाली समस्याओं पर चर्चा करते हुए उन्होंने संस्थान के प्रयासों की सराहना की एवं कहा कि आने वाले वर्षों में उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में धार्मिक पर्यटन के लिए प्रतिवर्ष 5-6 करोड़ पर्यटकों के आने की संभावनाएं हैं। ऐसे में इन क्षेत्रों में फूलों की मांग बढ़ने के आसार हैं जिनसे एक ओर जहां पुष्प कृषि में संभावनाएं दिख रही हैं। वहीं दूसरी ओर इन फूलों के इधर-उधर डाले जाने से इनके निष्तारण की समस्या भी सामने आती दिख रही है। उन्होंने संस्थान के वैज्ञानिकों से इन दोनों दिशाओं में कार्य किये जाने किये जाने का आवाहन किया।
विशिष्ट अतिथि डॉ. अरुण कुमार सक्सेना ने किसान एवं विज्ञान के बीच दूरी कम किये जाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि वैज्ञानिक शोध का किसानों तक पहुंचना बहुत आवश्यक है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन की चर्चा करते हुए कहा कि आज किसानों को जलवायु परिवर्तन की समस्या के विषय में जागरुक करने के साथ-साथ यह जानकारी भी देने की आवश्यकता है कि इन बदलती हुई परिस्थितियों के अनुसार खेती में किस तरह के बदलाव करने की जरूरत है।
इस अवसर पर संस्थान द्वारा तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए, जिनमें पहला कृषि विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार के साथ संस्थान द्वारा विकसित माइक्रोबियल प्रौद्योगिकियों के उपयोग पर, दूसरा मैसर्स एग्रीफोर्ट प्रा. लिमिटेड के साथ देश के किसानो तक संस्थान की प्रौद्योगिकियों को पहुंचाने हेतु एवं तीसरा उत्तर प्रदेश वन विभाग के साथ साझा कार्य करने हेतु है। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीईटी) द्वारा अनुमोदित और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित "उद्योगों के लिए ग्रीनबेल्ट विकास" विषयक हरित कौशल विकास प्रमाणपत्र कार्यक्रम का संस्थान द्वारा विकसित पाठ्यक्रम मैनुअल वर्शन 3.0 को भी जारी किया गया।
संस्थान के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पंकज कुमार श्रीवास्तव ने 14 से 19 अगस्त तक सप्ताह निर्धारित "वन वीक-वन लैब" कार्यक्रम का संक्षिप्त विवरण दिया। उन्होंने कहा कि अभियान में वैज्ञानिक-छात्रों के बीच संवाद कार्यक्रम, अनुसंधान एवं विकास प्रदर्शनी, पोस्टर प्रस्तुतियांऔर उद्योग बैठकें सम्मिलित हैं। उन्होंने "भारत के पर्यावरण और कृषि क्षेत्रों में वर्तमान चुनौतियों के संदर्भ में तकनीकी नेतृत्व" विषय पर पैनल परिचर्चा के बारे में जानकारी दी, जिसमें प्रख्यात विशेषज्ञ पैनलिस्ट डॉ. जितेंद्र कुमार, एडीजी-एनएएसएफ, डॉ. आलोक श्रीवास्तव, निदेशक, आईसीएआर-एनबीएआईएम, डॉ विवेक सक्सेना, डीडीजी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और प्रोफेसर एसके बारिक, पूर्व निदेशक, सीएसआईआर-एनबीआरआई ने भाग लिया। इस परिचर्चा में उत्तर प्रदेश के बीस विभिन्न डिग्री कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के 75 शिक्षाविदों और संकाय सदस्यों ने भाग लिया।