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भारत को श्रेष्ठतम राष्ट्र बनाने के लिए होंगे कार्यक्रम

वाराणसी, 15 दिसम्बर (हि.स.)। वर्तमान में धार्मिक आध्यात्मिक सनातन धर्म में वर्चस्व की भावना से लोकहित की हानि हो रही है। भारत की सभ्यता, अखंडता, कृषि, शिक्षा स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था, सिद्धांत व्यवहार पूरी तरह से धरासाई हो गए हैं। जिससे सनातन धर्म की बहुत बड़ी दुर्गति हो रही है। ये बातें गुरुवार को भारत माता मिशन के पीठाधीश्वर एवं संरक्षक स्वामी विवेक चैतन्य महाराज ने आयोजित पत्रकार वार्ता में कही। उन्होंने बताया कि विश्व स्तर पर भारत को श्रेष्ठतम राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठित करने और सनातन धर्म की मूल स्थापना के लिए एक विश्व स्तर पर कार्यक्रम करने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि भारत माता मिशन जहां-जहां पर प्राचीन धार्मिक आध्यात्मिक मंदिरों की दुर्दशा हो रही है। उसके जीर्णोद्धार के कार्य करने की तैयारी में है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में शिक्षा पद्धति ने भारत की श्रेष्ठ प्रतिभाओं को भी आजीविका कमाने तक सीमित कर दिया है । मुक्त और राष्ट्रवादी चिंतन के लिए उत्कृष्ट शिक्षा व्यवस्था की आवश्यकता के साथ अनिवार्यता हो गई है। विवेक चैतन्य महाराज ने बताया कि भारत माता मिशन ने भारत माता संकीर्तन परिषद् के माध्यम से देश में इस संदेश को अग्रसारित करने का संकल्प लिया है कि अपने राष्ट्र की एकता-अखंडता को अक्षुण्ण बनाए रखने के निमित्त भारत माता को केवल गणतंत्र दिवस एवं स्वतंत्रता दिवस को भारत माता की जय के नारे तक मात्र सीमित रखा जाये। वरन इसे प्रतिदिन-प्रतिपल भगवत्-भजन की भांति स्मरण व गुनगुनाने का मूल मंत्र बनाया जाये। वार्ता में मिशन के अन्तर-राष्ट्रीय अध्यक्ष रमन त्रिपाठी, अजीत मिश्रा, राजनाथ तिवारी, डॉ जे पी मिश्रा, अधिवक्ता अरविंद त्रिपाठी आदि भी मौजूद रहे।
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