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माता पिता की अवहेलना करने वाले ढोंगी और पाखंडी : आचार्य ममगांई

 माता-पिता को प्रत्यक्ष देवता बताते हुए शिव प्रसाद ममगांई ने कहा कि जो मां बाप की अवहेलना कर उनका अपमान करके भी भक्ति का ढोंग रचते हैं, वे पाखंडी हैं। यह सद विचार ज्योतिषपीठ व्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं ने जोगीवाला बद्रीपुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में व्यक्त किए।

आचार्य ने श्री राम की पूजा भक्ति का अधिकारी वही है जो माता पिता की आज्ञा का पालन करता है। उनकी सेवा के लिए सदैव तत्पर रहता है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम ने स्वयं माता-पिता की आज्ञा मात्र से न्याय-अन्याय का विचार किये बिना राजपाठ त्याग कर वन गमन किया था। अत: उनसे मातृ-पितृ भक्ति, भाइयों के प्रति उत्कृष्ट प्रेम की प्रेरणा लेकर ही उनकी भक्ति की जा सकती है।

उन्होंने कहा कि पुण्डरीक माता-पिता की सेवा कर रहे थे। द्वारिकाधीश उन्हें दर्शन देने आ पहुंचे। पुण्डरीक ने अंदर से कहलवाया प्रभु अभी मैं माता-पिता की सेवा कर रहा हूं, आप प्रतीक्षा करें। उनकी सेवा समाप्त होते ही आपकी सेवा में आऊंगा। द्वारिकाधीश ईंट पर खड़े होकर प्रतीक्षा करते रहे, यह था मातृ-पितृ सेवा का अनुपम उदाहरण।

कथा के चतुर्थ दिवस पर भगवान कृष्ण जन्म के प्राकट्य के प्रसंगों को श्रवण करते हुए दिव्य झांकी के साथ भगवान बाल गोविंद के दर्शन भक्तों को प्राप्त हुए। नन्द के आनंद भयो आदि भजनों पर झूमते हुए श्रोता माखन मिश्री के प्रसाद को पाकर आनन्दित हुए।

इस अवसर पर मुख्य रूप से डॉ. शैलेंद्र ममगाईं, डोईवाला के विधायक ब्रजभूषण गैरोला, भाजपा के उमेश पुंडीर, जखोली क्षेत्र पंचायत प्रमुख प्रदीप थपलियाल, प्रधानाचार्य चन्द्र प्रकाश सेमवाल, कुसुम सेमवाल, चारधाम हक हुकूक के महामंत्री हरीश डिमरी, आचार्य हिमांशु मैठाणी, आचार्य सूरज पाठक, सुरेश जोशी आदि भक्त गण भारी संख्या में उपस्थित थे।


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