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पहले वैश्विक शिखर सम्मेलन में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने पारंपरिक चिकित्सा पर की बात

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने गुरुवार को गांधीनगर में कहा कि पारंपरिक चिकित्सा के लिए वैश्विक शिखर सम्मेलन आशा की किरण के रूप में कार्य करता है, स्वास्थ्य और कल्याण के लिए समग्र दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है। उन्होंने कहा कि प्राचीन ज्ञान और आधुनिक विज्ञान को अपनाकर हम 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' की नीति को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्वास्थ्य से संबंधित सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया ने गुरुवार को परंपरागत चिकित्सा के लिए डब्ल्यूएचओ की प्रथम ग्लोबल समिट के उद्घाटन अवसर पर ये बातें कही। इस मौके पर केन्द्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनवाल, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल, विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अघनोम घेब्रेयेस मौजूद थे।

आयुष मंत्रालय की ओर से सह आयोजित यह समिट 17 से 19 अगस्त के बीच गांधीनगर में जी-20 स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक के तहत को-ब्रांडेड इवेंट है। इसके उद्घाटन सत्र में आयुष राज्यमंत्री डॉ. मुंजपरा महेन्द्रभाई कालूभाई, गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल, भूटान के स्वास्थ्य मंत्री लोन्पो दाशो डेशेन वांगमो और नेशनल डायरेक्टर ऑफ पैत्रृक ट्रेडिशनल मेडिसिन बोलिविया विवियन टी कामाचो हिनोजोसा भी उपस्थित रहीं।

17 से 18 अगस्त तक दो दिवसीय शिखर सम्मेलन का विषय "सभी के लिए स्वास्थ्य और कल्याण की दिशा में” है, जो गंभीर स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान करने और वैश्विक स्वास्थ्य एवं सतत विकास में प्रगति लाने में पारंपरिक सहायक और एकीकृत चिकित्सा की भूमिका का पता लगाएगा। mपारंपरिक चिकित्सा पर पहले वैश्विक शिखर सम्मेलन के अवसर पर डॉ. मंडाविया ने कहा, "यह वैश्विक शिखर सम्मेलन पारंपरिक और पूरक चिकित्सा के क्षेत्र में संवाद, विचारों के आदान-प्रदान, जुड़ाव और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी के लिए एक अनूठा मंच प्रस्तुत करता है। सदियों से, पारंपरिक और पूरक चिकित्सा ने व्यक्तिगत और सामुदायिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आधुनिक समय में भी, प्राकृतिक और हर्बल-आधारित फार्मास्यूटिकल्स और सौंदर्य प्रसाधनों की मांग पारंपरिक उपचार विधियों के स्थायी महत्व पर जोर देती है।"

गुजरात के प्रतिनिधियों और मंत्रियों का स्वागत करते हुए मंडाविया ने कहा, "गांधीनगर, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम पर रखा गया शहर, इस प्रतिष्ठित शिखर सम्मेलन के लिए एक उपयुक्त पृष्ठभूमि के रूप में कार्य करता है। गुजरात, इतिहास और संस्कृति से समृद्ध भूमि, सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे महानुभावों का जन्मस्थान भी है, जिन्हें भारत के लौह पुरुष के नाम से जाना जाता है। स्वतंत्रता के बाद राष्ट्रीय एकता के प्रति उनकी अदम्य भावना और प्रतिबद्धता ने हमारे देश पर एक अमिट छाप छोड़ी है।"

गुजरात के जामनगर में डब्ल्यूएचओ का ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन मुख्यालय होने पर डॉ. मंडाविया ने कहा कि केंद्र ज्ञान के केंद्र के रूप में कार्य करता है, लोगों और ग्रह के उत्थान के लिए आधुनिक विज्ञान के साथ प्राचीन ज्ञान को एकीकृत करता है। डब्ल्यूएचओ के मुख्य कार्यों को पूरा करते हुए, केंद्र विश्व स्तर पर पारंपरिक चिकित्सा की प्रगति को गति देता है।

मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने उद्घाटन समारोह में कहा, "पारंपरिक चिकित्सा के लिए पहला वैश्विक शिखर सम्मेलन बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सीमाओं से परे स्वास्थ्य सेवा के भविष्य के लिए लोगों को एकजुट करता है और विश्व स्तर पर स्वास्थ्य सेवा में एक नए युग की शुरुआत करता है।" उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शिखर सम्मेलन सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पारंपरिक चिकित्सा और पारंपरिक चिकित्सा के उपयोग में सहयोग और नवाचार के संभावित क्षेत्रों की पहचान करने में मदद करेगा।

उद्घाटन अवसर पर डॉ. टेड्रोस अघनोम घेब्रेयेस ने आयुष्मान भारत योजना के तहत सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज बढ़ाने के भारत के प्रयासों की सराहना की। एक दिन पहले स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र की उनकी यात्रा से उन्हें देश में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार को देखने में मदद मिली। उन्होंने भारत द्वारा टेलीमेडिसिन को अपनाने पर भी प्रकाश डाला, जो न केवल स्वास्थ्य सेवा वितरण का विस्तार करता है, बल्कि रोगियों के लिए समय और धन बचाने में भी मदद करता है।

विश्व व्यापार संगठन के महानिदेशक डॉ. नगोजी ओकोन्जो-इवेला ने एक वीडियो संदेश में कहा कि पारंपरिक चिकित्सा विरोधी नहीं, बल्कि आधुनिक चिकित्सा की पूरक है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि शिखर सम्मेलन पारंपरिक चिकित्सा की समझ को व्यापक बनाने में मदद करेगा और शिखर सम्मेलन में उठाए गए मुद्दों के लिए एक एकीकृत और समावेशी मंच के रूप में कार्य करेगा।

कार्यक्रम में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्रभाई पटेल ने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा पर पहला वैश्विक शिखर सम्मेलन आयोजित करना गुजरात और भारत के लिए गर्व की बात है। एक प्राचीन भारतीय ग्रंथ का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, "सर्वे भवन्तु सुखिनः; सर्वे सन्तु निरामया," सभी सुखी हों, सभी रोगमुक्त हों, यही भारत की हमेशा से मान्यता रही है, वसुधैव कुटुंबकम के दर्शन के अनुरूप, विश्व एक परिवार है।


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