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वाटर विजन @ 2047 अगले 25 वर्षों की अमृत यात्रा का महत्वपूर्ण आयाम : प्रधानमंत्री

भोपाल, 5 जनवरी (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि हर घर तक पानी पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन एक बड़ा डेवलपमेंट पैरामीटर साबित हुआ है। ग्राम पंचायतें जल-जीवन मिशन का नेतृत्व करें। जब किसी अभियान से जनता जुड़ी रहती है तो उसे उसकी गंभीरता का पता चलता है। आज भारत वाटर सिक्योरिटी पर अभूतपूर्व काम कर रहा है। 'वाटर विजन @ 2047' अगले 25 वर्षों की अमृत यात्रा का महत्वपूर्ण आयाम है।

प्रधानमंत्री मोदी गुरुवार को दिल्ली से मप्र की राजधानी भोपाल स्थित कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में आयोजित प्रथम अखिल भारतीय वार्षिक राज्य मंत्रियों का सम्मेलन 'वॉटर विजन @ 2047' को वर्चुअली संबोधित कर रहे थे। समारोह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, केंद्रीय जलशक्ति राज्य मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल और प्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट एवं अन्य राज्यों के मंत्रीगण मौजूद रहे।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारी संवैधानिक व्यवस्था में पानी का विषय राज्यों के नियंत्रण में आता है। जल संरक्षण के लिए राज्यों के प्रयास देश के सामूहिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में बहुत सहायक होंगे। जल संरक्षण से जुड़े अभियानों में जनता, सामाजिक संगठनों और सिविल सोसायटी को भी ज्यादा से ज्यादा साथ लेना होगा। जब किसी अभियान से जनता जुड़ी रहती है तो उस कार्य की गंभीरता भी पता चलती है। इससे जनता में किसी योजना या अभियान के प्रति सेन्स आफ ओनरशिप भी आती है।

उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री और खेती दोनों सेक्टर को ही पानी की कितनी जरूरत होती है, हमें इन दोनों ही सेक्टर्स से जुड़े लोगों में विशेष अभियान चलाकर इन्हें वाटर सिक्योरिटी के प्रति जागरूक करना चाहिए। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत सभी राज्यों में तेजी से काम हो रहा है। इसके अंतर्गत "पर ड्राप मोर क्राप" अभियान की शुरुआत की गई थी। जल संरक्षण के लिए केन्द्र ने अटल भूजल संरक्षण योजना शुरू की है। यह एक संवेदनशील अभियान है और इसे उतनी ही संवेदनशीलता से आगे बढ़ाने की जरूरत है।

मोदी ने कहा कि जल संरक्षण के क्षेत्र में भी सर्कुलर एकोनामी की बड़ी भूमिका है। जब ट्रीटेड वाटर को री-यूज किया जाता है, फ्रेस वाटर को कंसर्व किया जाता है तो उससे पूरे इकोसिस्टम को बहुत लाभ होता है। हमारी कोई भी नदी या जल स्रोत बाहरी कारकों से प्रदूषित न हो, इसके लिए हमें हर राज्य में वेस्ट मैनेजमेंट और सीवेज ट्रीटमेंट का नेटवर्क बनाना होगा।

उन्होंने कहा कि जियो मैपिंग और जियो सेंसिंग जैसी तकनीक जल संरक्षण के कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। कई राज्यों ने इसमें अच्छा काम किया है और कई राज्य इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। जल संरक्षण के लिए जन भागीदारी की सोच को जनता के मन में जगाना है। हम इस दिशा में जितना ज़्यादा प्रयास करेंगे, उतना ही अधिक प्रभाव पैदा होगा। जल संरक्षण के लिए देश के हर जिले में 75 अमृत सरोवर बन रहे हैं और अब तक 25,000 अमृत सरोवर बन भी चुके हैं। देश की जल संबंधी समस्याओं पर मंथन करके राज्यों के जल मंत्री भोपाल में दो दिवसीय सम्मेलन में रोडमैप तैयार करने जा रहे हैं। इसमें वाटर विजन @ 2047 पर संवाद होगा। पानी बचाने से जुड़े हर पहलू पर चर्चा होगी। साथ ही जिन क्षेत्रों में पानी की खपत अधिक है, उसे कम करने और संतुलन बैठाने के विषय पर भी चर्चा होगी।


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