विश्व कुश्ती संघ (युनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग) द्वारा भारतीय कुश्ती संघ की सदस्यता खत्म किए जाने पर कुश्ती जगत की हस्तियों ने निराशा जताई है। उन्होंने कहा कि इससे न केवल पहलवानों का मनोबल टूटेगा, बल्कि स्वतंत्र रूप से लड़कर जीतने के बावजूद उन्हें अपने देश व राज्यों की सरकारों से आवश्यक जुड़ाव रखने में मुश्किल आएगी।
ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया और ओलंपियन दीपक पूनिया के कुश्ती गुरु रहे आर्य वीरेंद्र ने विश्व कुश्ती संघ से भारत की सदस्यता खत्म होने को कुश्ती के लिए बहुत नुकसानदायक बताया है। आर्य ने कहा कि भारतीय कुश्ती संघ अपने देश के पहलवानों को विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में भेजने के लिए अब पहलवानों के ट्रायल नहीं ले पाएगा। ये ट्रायल 25 व 26 अगस्त को ही तय किए गए थे। विश्व कुश्ती चैंपियनशिप 16 से 24 सितंबर तक सर्बिया की राजधानी बेलग्रेड में होगी। भारतीय कुश्ती संघ के भेजे पहलवान विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में भाग ही नहीं ले सकेंगे तो उन्हें विश्व कुश्ती संघ स्वतंत्र प्रतिभागी के तौर पर ही मौका दे पाएगा।
आर्य ने बताया कि लाला दीवानचंद योग एवं कुश्ती केंद्र छारा के कई पहलवान ट्रायल डब्लूएफआई के ट्रायल से वंचित रहेंगे। उन्होंने बताया कि विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए 79 किलोग्राम भार वर्ग के पहलवान पुष्पेंद्र, 66 में प्रमोद दलाल, 86 में संदीप, 92 में शेखर और 74 किलोग्राम भार वर्ग में पहलवान नवीन कड़ा अभ्यास कर रहे हैं। लेकिन अब ट्रायल ही नहीं होगा तो इउन पहलवानों का होसला टूटेगा।
कुश्ती पर दो चर्चित पुस्तकों के लेखक तेजपाल दलाल ने कहा कि इससे पहलवानों का मनोबल टूटेगा। किसी भारतीय पहलवान को पदक मिलने पर जब भारत का राष्ट्रीय गान गूंजता था तो विजेता पहलवान का सीना चौड़ा हो जाता था। भारतीय ओलंपिक संघ को दखल देकर प्रयास करना चाहिए। समय मांगना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे पहलवान भारत के प्रतिनिधि के तौर पर लड़ ही नहीं पाएंगे तो विश्व कुश्ती चैंपियनशिप जैसी स्पर्धाओं में जीतने के बावजूद उन्हें अपनी राज्य व केंद्र सरकार से अपने हक के लाभ हासिल करने में भी कठिनाई का सामना करना पड़ेगा।