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कश्मीर में आतंकियों के 'यारों' पर अब चले तलवार

मुकुंद सालों साल तक आतंकवाद से बेजार रही कश्मीर घाटी में हालात अब पहले से बेहतर हुए हैं। यह सरकार और अमनपसंद लोगों के लिए सुखद तस्वीर है। केंद्र सरकार के अनुच्छेद 370 समाप्त करने के बाद स्थिति में सुधार आया है। बहुत हद तक आतंकवाद का फन कुचलने में भी मदद मिली है। इससे आतंकवाद का आका पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। अब उसने और पाकिस्तान की सरजमीं पर ही सक्रिय आतंकी संगठनों ने अपना फोकस ओवर ग्राउंड वर्कर पर किया है। इनको दहशतगर्दों की मदद के साथ सरहदपार से भेजे जाने वाली ड्रग्स की खेप को खपाने का जिम्मा सौंपा गया है। ऐसा नहीं है कि पड़ोसी मुल्क की इस रणनीति की जानकारी भारत सरकार को नहीं है। भारतीय सुरक्षाबल लगातार ओवर ग्राउंड वर्कर्स को दबोचकर आतंकवाद की रीढ़ की हड्डी तोड़ रहे हैं। मोदी सरकार नौ साल से लगातार आतंकवाद पर प्रहार कर रही है। ऐसा कोई दिन शायद ही गुजरता हो, जब ओवर ग्राउंड वर्कर को दबोचकर सलाखों के पीछे न भेजा जाता हो। दरअसल यह ओवर ग्राउंड वर्कर लश्कर-ए-तैयबा , जैश-ए-मोहम्मद जैसे खूंखार संगठनों के सच्चे यार होते हैं। चंद पैसों के लालच में अपना जमीर बेचकर मददगार बने यह लोग आतंकवादियों से भी ज्यादा खतरनाक होते हैं। इनको कोई आसानी से पहचान नहीं सकता। इनके संक्षेप में ओजीडब्ल्यू संबोधित किया जाता है। यह लोग आतंकवादी वारदात को अंजाम देने के लिए आतंकवादियों के लिए जमीन तैयार करते हैं। यह आतंकियों तक सुरक्षाबलों की सूचनाएं पहुंचाने के साथ ही हथियार, पैसा और सुरक्षित पनाहगाह का बंदोबस्त करते हैं। इसलिए यह बड़ी चुनौती से कम नहीं हैं। कश्मीर घाटी में कुछ समय पहले चिनार कोर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडेय मानते हैं कि आतंकवाद को जिंदा रखने में ओवर ग्राउंड वर्कर नेटवर्क की भूमिका अहम है। यह आम आदमी की तरह ही रहते हैं, लेकिन इनका मकसद खतरनाक होता है। सामरिक विशेषज्ञों का कहना है कि हाथ में हथियार लिए निर्दाेष लोगों को कत्ल करने का मौका तलाश रहे आतंकियों से भी ज्यादा खतरनाक ओवर ग्राउंड वर्कर होते हैं। इस नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त करने के बाद ही जम्मू-कश्मीर में स्थायी शांति बहाल हो सकती है। इसके लिए सुरक्षा एजेंसियों, नागरिक प्रशासन और समाज को एकजुट होकर समग्र प्रयास करने होंगे। ओवर ग्राउंड वर्कर के मंसूबों से वाकिफ एजेंसियां इनके नेटवर्क पर लगातार चोट कर रही हैं। इस वजह से कभी इनसे खौफ खाने वाले लोग अब ओवर ग्राउंड वर्कर्स को घास नहीं डालते। आतंकवाद और आतंकियों के इन पोषकों के बारे में सताए गए लोग ही इनके बारे में कहीं न कहीं मुंह खोलने लगे हैं। यह नए लड़कों को गुमराह कर उन्हें मौत के रास्ते पर धकेलते रहे हैं। कुछ समय पहले यह खुलासा हुआ था कि पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों के कमांडरों ने जम्मू-कश्मीर में बचे-खुचे ओवर ग्राउंड वर्कर्स की सूची बनाई है। यह सुखद है कि करीब आठ-दस पहले कश्मीर में ओवर ग्राउंड वर्कर्स की तादाद करीब 6000 थी। सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक अब यह आधा से भी कम करीब 2186 बचे हैं। साथ ही लगभग 246 आतंकी हैं। राज्य में सिर्फ लद्दाख संभाग ऐसा है, जहां न आतंकी हैं और उनके ये यार। कुछ समय पहले राज्य पुलिस की अपराध शाखा की एक विभागीय रिपोर्ट मे कहा गया था कि घाटी में सिर्फ गांदरबल अकेला ऐसा जिला है, जहां कोई आतंकी नहीं है, लेकिन वहां 38 ओजीडब्ल्यू सक्रिय हैं। जम्मू संभाग के जम्मू, सांबा व ऊधमपुर जिलों में न कोई आतंकी है और न कोई ओजीडब्ल्यू। लेकिन रियासी, डोडा और रामबन में करीब 370 ओजीडब्ल्यू काम कर रहे हैं।
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