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पौड़ी गढ़वाल के गोली लगने से घायल छात्र को एम्स में भी नहीं मिली सीटी स्कैन सुविधा

स्टाफ ने परिवार को घायल सहित भेजा प्राइवेट हॉस्पिटल पनेशिया

परिवार ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर बताई अपनी व्यथा

पिता की लाइसेंसी राइफल से लगी थी गोली

 पौड़ी गढ़वाल में गोली लगने से घायल हुए 15 वर्षीय छात्र अर्पित को इलाज के लिए एम्स की ट्रामा इमरजेन्सी के रेड जोन में भर्ती किया। किशोर की हालत बहरहाल खतरे से बाहर है, लेकिन उसका यहां पर भी इलाज नहीं किया गया और उसे निजी अस्पताल पनेशिया भेज दिया गया। छात्र के परिवार ने इस व्यथा के बारे में पत्र लिखकर प्रधानमंत्री को अवगत कराया है। परिजनों ने बताया कि बीती 31 जुलाई की रात को घायल को पौड़ी के नजदीकी श्रीनगर मेडिकल कालेज भेजने की बजाय 130 किलोमीटर दूर एम्स ऋषिकेश भेज दिया गया और अब यहां सीटी स्कैन मशीन खराब होने पर घायल को किशोर निजी अस्पताल में इलाज के लिए रेफर कर दिया गया है। इसको लेकर परिवार वालों ने सवाल उठाते हुए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। एम्स प्रशासन के मुताबिक सिटी स्कैन ना होने से घायल का इलाज प्रभावित नहीं होगा।

 उल्लेखनीय है कि पौड़ी निवासी रिटायर्ड शिक्षक के 15 वर्षीय पुत्र अर्पित ने दो दिन पहले अपने पिता की लाइसेंसी राइफल से खुद को गोली मार ली थी। अर्पित कक्षा 10 वीं का छात्र है। घायल अर्पित को पहले स्थानीय जिला अस्पताल ले जाया गया। जहां से उसे एम्स के लिए रेफर कर दिया गया था।बीती रात्रि एम्स पहुंचने पर अर्पित को एम्स की ट्रामा इमरजेन्सी में भर्ती किया गया। ट्रामा चिकित्सकों के अनुसार किशोर के सीने में बांयी ओर गोली लगने से गहरा घाव बना हुआ है। इसके अलावा घटना के दौरान गोली सीने से आर-पार हो जाने के कारण उसकी छाती की हड्डियों, लंग्स और मांशपेशियों को भी क्षति पहुंची है। दिल की धड़कन पर बराबर नजर बनाए रखने के लिए उसे आईसीडी (इंम्पाटेबल कार्डियोवर्टर डिफिब्रिलेटर) से सपोर्ट किया गया है। इस पूरे मामले में किशोर के परिवार वालों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अवगत कराया है कि सोमवार की रात करीब 8:30 बजे घायल किशोर को एम्स लाया गया था। जबकि पौड़ी से करीब 30 किलोमीटर दूर श्रीनगर मेडिकल कालेज भेजने की बजाय घायल को 130 किलोमीटर दूर एम्स ऋषिकेश भेजा गया। एम्स ऋषिकेश में भी चिकित्सकों ने उसे सिटी स्कैन कराने की सलाह दी, एम्स की मशीन खराब है। हास्पिटल के स्टाफ ने निजी चिकित्सालय पनेशिया हास्पिटल देहरादून रोड ऋषिकेश जाने की सलाह दी। एम्स से स्टाफ और एंबुलेंस भी उपलब्ध कराई गई। निजी चिकित्सालय पनेशिया में भी मेडिकोलीगल केस बताकर सीटी स्कैन नहीं किया गया। मजबूर होकर मरीज को वापस लाना पड़ा। प्रधानमंत्री को संबोधित पत्र में परिजन ने आगे लिखा कि उत्तराखंड में राष्ट्रीय स्तर के एम्स की सिटी स्कैन का खराब होना बेहद पीड़ादायक और दुःखद है। गम्भीर हालात के मरीज निजी अस्पतालों की कठपुतली बन रहे हैं और निजी अस्पताल अपनी मनमानी चला रहे हैं। पहाड़ के मरीजों को मानसिक और बड़ा आर्थिक नुकसान हो रहा है।

इसबारे में एम्स के जनसंपर्क अधिकारी हरीश मोहन थपलियाल ने बताया कि मरीज का स्वास्थ्य अभी स्थिर है और आवश्यक उपचार जारी है। एम्स के भीतर सीटी स्कैन मशीन खराब होने के कारण किशोर का स्कैन नहीं हो पाया है। इससे उसका उपचार प्रभावित नहीं हुआ है, अन्य जांच नियमित चल रही हैं।

सिटी स्कैन के लिए पांच किलोमीटर दूर भेजने पर सवाल-

एम्स ऋषिकेश के आसपास कई सेंटर ऐसे हैं जहां सिटी स्कैन की सुविधा 24 घंटा उपलब्ध है। सोमवार की रात घायल किशोर को एम्स के नजदीक सेंटर में ना ले जाकर यहां से पांच किलोमीटर दूर देहरादून रोड ऋषिकेश में स्थित निजी चिकित्सालय में सिटी स्कैन के लिए भेजे जाने पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं। एम्स के अंदर और बाहर मरीजों को विभिन्न एंबुलेंस सेवाओं के माध्यम से देहरादून और आसपास क्षेत्र के निजी चिकित्सालय में गुमराह कर भेजे जाने की शिकायतें अक्सर सामने आती रही हैं। ऐसे में ड्यूटी पर मौजूद स्टाफ की ओर से निजी चिकित्सालय में किशोर का सीटी स्कैन कराने की सलाह देना भी जांच का विषय है।


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