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लोकसभा चुनाव : भाजपा के जोशी की हैट्रिक रोकने को कांग्रेस का आंजना पर दांव

 चित्तौड़गढ़ लोकसभा सीट मेवाड़ की ऐतिहासिक सीट है। इसे चित्तौड़गढ़ जिले की पांच विधानसभा चित्तौड़गढ, कपासन, निम्बाहेड़ा, बड़ीसादड़ी व बेगूं, प्रतापगढ़ जिले की प्रतापगढ़ और उदयपुर जिले की वल्लभनगर व मावली विधानसभा क्षेत्र को मिलाकर बनाया गया है। 2011 की जनगणना के अनुसार चित्तौड़गढ़ लोकसभा क्षेत्र की 85 फीसदी आबादी ग्रामीण और 15 फीसदी आबादी शहरी हैं। कुल आबादी का 13 फीसदी अनुसूचित जाति व 23.42 फीसदी अनुसूचित जनजाति हैं।

मेवाड़ का इतिहास शौर्य का रहा है। इसमें चित्तौड़गढ़ का विशिष्ट स्थान है। बेड़च नदी के किनारे बसे चित्तौड़ को मेवाड़ के गुहिलवंशियों की पहली राजधानी का सम्मान प्राप्त है। चित्तौड़ का किला विश्व प्रसिद्ध है। यह अरावली की पहाड़ी पर उत्तर से दक्षिण की ओर लंबाई में बना है। यह आज भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र है। विश्व प्रसिद्ध विजय स्तंभ के साथ ही यहां कई ऐतिहासिक एवं पौराणिक महत्व के भवन है। प्रतापगढ़ जिला भी चित्तौड़गढ़ के विभाजन के बाद अस्तित्व में आया। कांठल अंचल में आने वाला प्रतापगढ़ में भील शासकों ने राज्य किया। हालांकि कालांतर में यह क्षेत्र भी मेवाड़ राज्य में ही शामिल हो गया।

भाजपा ने वर्तमान सांसद और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रप्रकाश जोशी को लगातार तीसरी उम्मीदवार बनाया है। करीब 48 वर्षीय जोशी चित्तौड़गढ़ जिले के भादसौड़ा के रहने वाले हैं। भाजयुमो- भाजपा में कई अहम पदों पर रहे। भाजपा का युवा और ब्राह्मण चेहरा हैं। गुलाबचंद कटारिया के राज्यपाल बनने के बाद मेवाड़ में भाजपा का बड़ा चेहरा है। क्षेत्र में मजबूत पकड़ है। वहीं कांग्रेस ने पूर्व मंत्री उदयलाल आंजना को मैदान में उतारा है। पिछले वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में उदयलाल आंजना निम्बाहेड़ा से चुनाव हार चुके हैं। आंजना साल 1998 में भी चित्तौड़गढ़ के सांसद बने थे लेकिन 13 महीनों में ही लोकसभा भंग हो गई। इसके बाद दुबारा चुनाव में उन्हें श्रीचंद्र कृपलानी से हार मिली थी। करीब 73 वर्षीय आंजना कांग्रेस के कद्दावर नेता हैं। चित्तौड़गढ़ जिले (वर्तमान में प्रतापगढ़) के छोटीसादड़ी तहसील के केसुंदा गांव के रहने वाले हैं। आंजना समाज से आने वाले उदयलाल की किसान वर्ग में अच्छी पैठ है।

चित्तौड़गढ़ सीट पर भाजपा का दबदबा रहा है। अब तक हुए लोकसभा के 17 में चुनावों में से यह सीट 7 बार कांग्रेस की झोली में गई, जबकि 10 बार यहां पहले भारतीय जनसंघ और फिर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा रहा। देश की आजादी के बाद वर्ष 1952 में हुए पहले आमसभा चुनाव में भारतीय जनसंघ (अब भाजपा) को देश में तीन लोकसभा सीटें मिली थीं, उनमें से एक चित्तौड़गढ़ सीट थी। उस समय यहां से उमाशंकर त्रिवेदी विजय हुए थे। इसके बाद साल 1957, 1962, 1967 के चुनावों में लगातार यहां कांग्रेस को विजय रही। वर्ष 1971 में जनसंघ ने एक बार फिर वापसी की। उसके बाद 1977 में यह सीट जनता पार्टी के खाते में चली गई। वर्ष 1980 और 1984 में फिर कांग्रेस की वापसी हुई। जिसके बाद वर्ष 1989, 1991, 1996 में भाजपा ने चित्तौड़गढ़ लोकसभा सीट फतेह की। साल 1998 में यहां से कांग्रेस ने जीत दर्ज की।

अंतिम पांच चुनावों में कांग्रेस केवल एक बार जीती

वर्ष 1999 से लेकर 2019 तक पांच बार लोकसभा के लिए चुनाव हुए। इनमें केवल एक बार यहां कांग्रेस को जीत मिली। साल 1999 और 2004 में यहां जीत का परचम भाजपा ने लहराया। वहीं साल 2009 में एक बार फिर यह सीट कांग्रेस की झोली में गई। इसके बाद साल 2014 और 2019 में भाजपा ने चित्तौड़गढ़ लोकसभा सीट से ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी।

विधानसभा चुनाव के परिणामों के लिहाज से भाजपा का पलड़ा भारी-

राजस्थान में दिसंबर- 2023 में विधानसभा के लिए चुनाव हुए थे। चित्तौड़गढ लोकसभा क्षेत्र में आने वाली आठ विधानसभा सीटों में से छह भाजपा, एक कांग्रेस और एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी। भाजपा के अर्जुनलाल जीनगर कपासन से, डॉ. सुरेश धाकड़ बेगूं से, श्रीचंद्र कृपलानी निम्बाहेड़ा से, गौतम कुमार बड़ीसादड़ी से, हेमंत मीणा प्रतापगढ़ से और उदयलाल दांगी वल्लभनगर से विजय हुए थे। वहीं भाजपा के बागी निर्दलीय चंद्रभानसिंह आक्या चित्तौड़गढ़ और मावली से कांग्रेस के केजी पालीवाल जीते थे। आक्या को 98 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। लेकिन इस चुनाव में आक्या भाजपा के साथ है।

लोकसभा चुनाव- 2014

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में चित्तौड़गढ़ में 64.5 प्रतिशत मतदान हुआ, जिसमें भाजपा को 60 और कांग्रेस को 33 फीसदी मत मिले। इस चुनाव में भाजपा के चंद्रप्रकाश जोशी ने कांग्रेस की गिरिजा व्यास को 3 लाख 16 हजार 857 मतों के भारी अंतर से हराया था। जोशी को 7 लाख 03 हजार 236 और कांग्रेस से गिरिजा व्यास को 3 लाख 86 हजार 379 मत मिले थे।

लोकसभा चुनाव- 2019

चित्तौड़गढ में वर्ष 2019 में 72.39 प्रतिशत मतदान हुआ था। भाजपा को कुल 67.38 और कांग्रेस को 27.88 फीसदी मत मिले थे। इस प्रकार जीत का अंतर 39.5 प्रतिशत रहा। याने कुल 14 लाख 58 हजार 760 मत गिरे, इनमें से भाजपा के चंद्रप्रकाश जोशी को 9 लाख 82 हजार 942 और कांग्रेस के गोपालसिंह शेखावत को 4 लाख 06 हजार 695 मत मिले थे। वहीं 17 हजार 513 मत नोटा में गए थे। भाजपा ने कांग्रेस को 5 लाख 76 हजार 247 मतों से हराया था।

प्रमुख मुद्दे- पिछले दस सालों में केंद्र सरकार के माध्यम से क्षेत्र में ढ़ांचागत विकास काफी तेजी से हुआ है। इनमें प्रमुख रूप से रेलवे लाइनों का दोहरी-विद्युतीकरण, नई रेल लाइन, मेडिकल कॉलेज, राष्ट्रीय राजमार्ग, डबोक एयरपोर्ट का विकास और धार्मिक पर्यटन स्थलों का विकास। लेकिन फिर भी अफीम काश्तकारों के कुछ मुद्दे हैं, जोआज भी अनसुलझे है। इनमें प्रमुख रूप से एनडीपीएस एक्ट की धारा 8/29 में बदलाव और अफीम के लिए सीपीएस पद्धति हटाने की मांग शामिल है। इन मुद्दों पर भाजपा- कांग्रेस किसानों को आश्वस्त कर रही है।

ऐसा रहा है चित्तौड़गढ़ लोकसभा चुनाव इतिहास

1952- यूएम त्रिवेदी, भारतीय जन संघ

1957-माणिक्य लाल वर्मा, कांग्रेस

1962- माणिक्य लाल वर्मा, कांग्रेस

1967- ओंकार लाल बोहरा, कांग्रेस

1971- बिश्वनाथ झुनझुनवाला, भारतीय जनसंघ

1977- श्याम सुंदर सोमानी, भारतीय लोक दल

1980- निर्मला कुमारी शक्तावत, कांग्रेस

1984 - निर्मला कुमारी शक्तावत, कांग्रेस

1989- महेंद्र सिंह मेवाड़, भारतीय जनता पार्टी

1991- जसवंत सिंह, भारतीय जनता पार्टी

1996- जसवंत सिंह, भारतीय जनता पार्टी

1998- उदय लाल अंजना, कांग्रेस

1999- श्रीचंद कृपलानी, भारतीय जनता पार्टी

2004-श्रीचंद कृपलानी, भारतीय जनता पार्टी

2009- गिरिजा व्यास, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

2014- चन्द्र प्रकाश जोशी भारतीय जनता पार्टी

2019- चन्द्र प्रकाश जोशी भारतीय जनता पार्टी

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