भगवान महाकाल आज शाम करेंगे उज्जैन भ्रमण
उज्जैन, 20 नवंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश के उज्जैन में विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर की कार्तिक मास की पहली सवारी आज (सोमवार) धूमधाम से निकलेगी। महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में सायं चार बजे विधिवत पूजन-अर्चन के बाद भगवान महाकाल चांदी की पालकी में राजसी ठाठ-बाट के साथ नगर भ्रमण पर निकलेंगे और अवंतिकानाथ अपनी प्रजा का हाल जानेंगे। इस दौरान बाबा महाकाल मनमहेश स्वरूप में श्रद्धालुओं को दर्शन देंगे। यह जानकारी महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक संदीप कुमार सोनी ने दी।
उन्होंने बताया कि श्रावण-भादौ मास की तरह ही कार्तिक-अगहन मास में भी प्रत्येक सोमवार को भगवान महाकाल की पांच सवारी निकाली जाती है। परंपरा के मुताबिक, कार्तिक-अगहन मास की पहली सवारी में भगवान महाकाल आज मनमहेश स्वरूप में अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए नगर भ्रमण पर निकलेंगे। सवारी निकलने से पूर्व अपराह्न 3ः30 बजे मंदिर के सभामंडप में पं. घनश्याम पुजारी के आचार्यत्व में भगवान मनमहेश की पूजा अर्चना की जाएगी। इसके बाद शाम चार बजे सवारी नगर भ्रमण के लिए रवाना होगी। सवारी में पुलिस बैंड, घुड़सवार दल, सशस्त्र पुलिस बल के जवान मौजूद रहेंगे।
25 नवंबर को होगा हरि-हर मिलनः परंपरानुसार 25 नवंबर को बैकुण्ठ चतुर्दशी के मौके पर हरि-हर मिलन की सवारी निकलेगी। इस दौरान बाबा महाकाल रात 11 बजे चांदी की पालकी में सवार होकर गोपाल मंदिर पहुंचेंगे, जहां हरि (भगवान विष्णु) का हर (महाकाल) से मिलन होगा। इस दौरान भगवान महाकाल पृथ्वी का भार भगवान द्वारिकाधीश को सौंपेंगे। गौरतलब है कि हर साल बैकुण्ठ चतुर्दशी की मध्यरात्रि को वर्ष में केवल एक बार हरि से हर के मिलन का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। प्राचीन मान्यता के अनुसार, देवशयनी एकादशी पर श्री विष्णु योग निंद्रा के दौरान क्षीरसागर में निवास करते हैं, जबकि देव उठनी एकादशी (देव दीपावली) पर जागते हैं। भगवान विष्णु के योग निंद्रा के काल में भगवान शिव सृष्टि का संचालन करते हैं और उनके जागने के बाद बैकुण्ठ चतुर्दशी के दिन उन्हें सृष्टि का भार सौंपकर कैलाश में तपस्या करने चले जाते हैं। यह अद्भुत नजारा हर साल उज्जैन में देखने को मिलता है। इस बार 25 नवंबर की मध्य रात्रि को श्रद्धालु फिर यह अद्भुत नजारा देख सकेंगे।
इसके बाद भगवान महाकाल की तीसरी सवारी 27 नवंबर, चौथी सवारी चार दिसंबर तथा अंतिम व शाही सवारी 11 दिसंबर को निकाली जाएगी। भगवान महाकाल की कार्तिक-अगहन मास की सवारी में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने की संभावना है। इन दिनों देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शनों के लिए पहुंच रहे हैं।