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मोटे अनाज प्रदान करते हैं मानव शरीर को पोषक तत्व : हरविंदर सिंह संधू

अमृतसर, 15 जुलाई  (दीपक मेहरा) देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर भाजपा महिला मोर्चा पंजाब की अध्यक्षा श्रीमती मीनू सेठी के दिशा-निर्देश पर भाजपा महिला मोर्चा अमृतसर की अध्यक्षा श्रुति विज की अध्यक्षता में पुतलीघर में बहन सतविंदर जी के निवास स्थान पर ‘अंतराष्ट्रीय मिलट्स उत्सव’ मनाया गया, जिसमें महिला मोर्चा की कार्यकर्ताओं के अलावा इलाके की औरतों ने भी भाग लिया। इस अवसर पर भाजपा अमृतसर शहरी के जिला अध्यक्ष हरविंदर सिंह संधू विशेष रूप से उपस्थित हुए।

हरविंदर सिंह संधू ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी द्वारा समूचे विश्व को मोटे अनाज को अपने खान-पान में अपनाने के लिए किए गए आह्वान के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी ने मोटे अनाज को ‘श्री अन्न’ का नाम दिया है। केंद्र की बीजेपी सरकार लगातार मोटे अनाज को बढ़ावा दे रही है। मोटे अनाज अत्यधिक पोषक, अम्ल-रहित, ग्लूटेन मुक्त और आहार गुणों से युक्त होते हैं। इसके अलावा, बच्चों और किशोरों में कुपोषण खत्म करने में मोटे अनाज का सेवन काफी मददगार होता है।

हरविंदर सिंह संधू ने कहा कि पुराने वक्त में भारतीय लोगों का भोजन रहे मोटे अनाज 'सुपर फूड' के नाम से जाने जाते हैं। मोटे अनाज अत्यधिक पोषक, अम्ल-रहित, ग्लूटेन मुक्त और आहार गुणों से युक्त होते हैं। इसके अलावा, बच्चों और किशोरों में कुपोषण खत्म करने में मोटे अनाज का सेवन काफी मददगार होता है क्योंकि इससे प्रतिरक्षा और स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है। इसेक अलावा मोटे अनाज देश की खाद्य और पोषण सुरक्षा में बड़े पैमाने पर योगदान करते हैं। इन्हें न्यूट्री-सीरियल्स के रूप में जाना जाता है क्योंकि ये मानव शरीर के सामान्य कामकाज के लिए आवश्यक अधिकांश पोषक तत्व प्रदान करते हैं। मोटे अनाज के अंतर्गत आठ फसलें शामिल हैं। इसमें ज्वार, बाजरा, रागी, सावां, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी और कुट्टू को मोटा अनाज की फसल कहा जाता है। ये फसलें आम तौर पर सीमांत और असिंचित भूमि पर उगाई जाती हैं, इसलिए इनकी उपज स्थायी खेती और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करती है। सरकार के प्रोत्साहन और स्वास्थ्य के प्रति लोगों की सजगता बढ़ने से इनकी खरीद बढ़ी है। खरीद बढ़ने से लाभान्वित होने वाले किसानों की संख्या भी बढ़ी है।

हरविंदर सिंह संधू ने कहा कि मोटे अनाज की फसल में अन्य समान फसल की तुलना में कम जल और कृषि साधनों की जरूरत होती है। हमारे देश में, मोटे अनाज मुख्य रूप से खराब कृषि जलवायु क्षेत्रों, विशेष रूप से देश के वर्षा क्षेत्रों में उगाए जाते हैं। इन फसलों को उच्च तापमान वाले क्षेत्रों में उगाया जाता है और उन्हें शुष्क भूमि फसल कहा जाता है क्योंकि इन्हें 50-100 सेमी वर्षा वाले क्षेत्रों में उगाया जा सकता है। ये फसलें मिट्टी की कमियों के प्रति कम संवेदनशील होती हैं और इन्हें कम जलोढ़ या लोमी मिट्टी में उगाया जा सकता है। उन्हें पानी, उर्वरक और कीटनाशकों की भी न्यूनतम आवश्यकता होती है। मोटे अनाज की खेती कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में मदद करती है जो आज एक वैश्विक समस्या है। भारत विश्व में मोटे अनाजों के अग्रणी उत्पादकों में एक है और वैश्विक उत्पादन में भारत का अनुमानित हिस्सा करीब 41 फीसदी है।

हरविंदर सिंह संधू इस अवसर पर मोटे अनाज को प्रोत्साहित करने के लिए डॉ. राजीव मल्ही, करियाना स्टोर के मालिक प्रेम कुमार सेठ और किसान भाई जागीर सिंह को विशेष सम्मान देकर सम्मानित किया गया। इस दौरान महिला मोर्चा के पदाधिकारियों की ओर से मोटे अनाज से बने व्यंजनों व पकवानों को बनाकर लाया गया। श्रुति विज ने बताया कि मिलेट्स उत्सव के दौरान पूरा माह लोगों को मोटे अनाज के लाभों से प्रेरित किया जाएगा, ताकि एक स्वस्थ भारत का निर्माण हो सके। उन्होंने सभी को इस पर्व में भाग लेने व मिलिट्स के महत्व को जन जन तक पहुँचाने का आह्वान किया।

इस अवसर पर श्रीमती रीना जेटली, श्रीमती रामा महाजन, श्रीमती डॉली भाटिया, श्रीमती पुष्पा पिंकी, श्रीमती सतिंदर मनचंदा, श्रीमती मोनिका श्रीधर, श्रीमती रिम्पी भारद्वाज, सोनिया मल्ली, रिम्पी राजपूत, नेहा अरोड़ा, मोनिका, पूनम ठाकुर आदि उपस्थित थी।

फोटो -ओमी 

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