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नेपाल की तीन मुख्य पार्टियों में माओवादी संघर्ष से जुड़े 'ट्रांजिशनल जस्टिस बिल' लाने पर बनी सहमत

काठमांडू, 11 अप्रैल । नेपाल की तीन बड़ी पार्टियों के शीर्ष नेताओं की संयुक्त बैठक में दस साल से चल रहे माओवादी संघर्ष से जुड़े मुद्दों को खत्म करने के लिए ‘ट्रांजिशनल जस्टिस बिल’ लाने पर सहमति बन गई है। स्पीकर देवराज घिमिरे की पहल पर आज मंगलवार को प्रधानमंत्री एवं सीपीएन (एमसी) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड, नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और सीपीएन (यूएमएल) के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली ने एक साथ बैठक कर इस मुद्दे पर सहमति जताई। तीनों शीर्ष नेताओं ने बैठक में अपने–अपने दलों के नेताओं, अटॉर्नी जनरल और पूर्व अटॉर्नी जनरल के साथ इस विषय पर चर्चा की। स्पीकर देवराज घिमिरे के प्रेस सलाहकार शेखर अधिकारी के मुताबिक तीनों नेताओं के बीच संक्रमणकालीन न्याय विधेयक ‘ट्रांजिशनल जस्टिस बिल’ और संसदीय समिति के नेतृत्व को लेकर सहमति बन गई है। बैठक में मौजूद अधिकारियों में से एक के अनुसार तीनों शीर्ष नेता 14 अप्रैल को फिर इस विषय पर बैठक करेंगे।इससे पहले 09 अप्रैल को इसी मुद्दे पर बैठक हुई थी, लेकिन तब वे इस बात पर सहमत नहीं हो सके कि इस विधेयक को संसदीय समिति के माध्यम से आगे बढ़ाया जाए या इसे फास्ट ट्रैक के माध्यम से सीधे संसद में पेश किया जाए। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने नेपाल में 10 साल के माओवादी संघर्ष के दौरान हुई घटनाओं के मामलों की सुनवाई शुरू की है। इसके बाद प्रधानमंत्री प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार ने विभिन्न आयोगों का गठन करके ‘ट्रांजिशनल जस्टिस बिल’ के मुद्दों को सुलझाने के लिए कदम बढ़ाया है। इस विषय पर एक कानून का मसौदा तैयार करने के लिए सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस और मुख्य विपक्षी दल सीपीएन (यूएमएल) का साथ आना आवश्यक है। इसलिए प्रधानमंत्री प्रचंड पक्ष और विपक्ष दोनों का समर्थन मांग रहे हैं।
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