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स्वच्छ शहरों में शिमला को बड़ा झटका, देश में 347वीं रैंकिंग, मेयर ने सर्वेक्षण पर उठाए सवाल

अपनी खूबसूरती और सैलानियों के बीच मशहूर हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला स्वच्छता के मामले में इस बार बुरी तरह पिछड़ गई है। देशभर में हुए स्वच्छता सर्वेक्षण 2024‑25 में शिमला की रैंकिंग गिरकर 347वें स्थान पर आ गई है। यह अब तक की सबसे खराब रैंकिंग मानी जा रही है। 824 शहरों की लिस्ट में शिमला टॉप 300 शहरों से भी बाहर हो गया है। नगर निगम शिमला को इस बार सर्वेक्षण में कुल 7500 में से सिर्फ 4798 अंक ही मिल पाए हैं। शहर की गिरती रैंकिंग को लेकर नगर निगम के महापौर सुरेंद्र चौहान ने सर्वेक्षण की प्रक्रिया पर गहरी नाराजगी जताते हुए इसे शिमला के साथ अन्याय बताया। मेयर ने कहा कि शहर में कोई झील नहीं है, फिर भी इस मापदंड पर अंक काटे गए।

उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर यह सर्वेक्षण किन मानकों पर आधारित था। मेयर ने बताया कि नगर निगम ने इस रिपोर्ट के खिलाफ आधिकारिक आपत्ति दर्ज करवाई है और इस बारे में केंद्रीय मंत्रालय को पत्र भी लिखा जा रहा है। उन्होंने इसे एकतरफा रिपोर्ट करार देते हुए कहा कि नगर निगम खुलकर इसका विरोध करेगा। महापौर सुरेंद्र चौहान ने कहा कि नगर निगम शहर की सफाई को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। सफाई के नए सिस्टम लागू किए गए, फिर भी रैंकिंग गिरती जा रही है।

उन्होंने सर्वेक्षण में पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाते हुए कहा कि शहर की सही तस्वीर नहीं पेश की गई। अगर बीते सालों की बात करें तो शिमला कभी स्वच्छता के मामले में देश में शीर्ष रैंकिंग में आता था। वर्ष 2016 में शिमला की देश में 27वीं रैंक थी। उसके बाद 2023 में यह रैंकिंग गिरकर 56वें स्थान पर आ गई। पिछले वर्ष 2024 में और गिरकर शिमला को 188वीं रैंक मिली थी। इस बार स्थिति और खराब हो गई और शिमला को 347वां स्थान मिला, जो अब तक की सबसे कम रैंकिंग है। प्रदेश स्तर पर भी इस बार तस्वीर बदली हुई नजर आई। शिमला जिले का ठियोग नगर परिषद प्रदेश में पहले स्थान पर रहा। हमीरपुर जिले का नादौन दूसरे स्थान पर रहा, जबकि शिमला शहर को सिर्फ तीसरा स्थान ही मिल पाया।

गौरतलब है कि शिमला को हिल स्टेशनों का मोती कहा जाता है और हर साल लाखों सैलानी यहां आते हैं। लेकिन लगातार गिरती स्वच्छता रैंकिंग से शहर की छवि पर भी असर पड़ रहा है।

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