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वायु सेना 15लड़ाकू स्क्वाड्रन सेवानिवृत्त करके नए फाइटर जेट से बदलेगी

नई दिल्ली, 26 अक्टूबर (हि.स.)। भारतीय वायु सेना ने 'टू फ्रंट वार' की तैयारियों के चलते अपनी लड़ाकू स्क्वाड्रन को नए सिरे से बनाने पर अपना ध्यान केन्द्रित कर दिया है। चरणबद्ध तरीके से 2035 तक 15 लड़ाकू स्क्वाड्रन सेवानिवृत्त करके इन्हें नए फाइटर जेट से बदलने की तैयारी है। इस दशक के अंत तक एलसीए मार्क-2 के सेवा में शामिल होने पर रूसी मिग वेरिएंट इतिहास बनकर रह जाएंगे। समाप्त होने वाली स्क्वाड्रन में लड़ाकू मिग के अलावा मिराज और जगुआर भी शामिल हैं। भारतीय वायु सेना 2035 तक लगभग 343 फाइटर जेट्स को अपने बेड़े में शामिल करने की योजना बना रही है, जिसमें 40 उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए) मार्क-1, 83 तेजस मार्क 1ए, 106 तेजस मार्क-2 और 114 मध्यम दूरी के लड़ाकू विमान (एमआरएफए) हैं।

 इस अवधि में भारतीय वायुसेना मिग-21 की 4 स्क्वाड्रन को सेवानिवृत्त करेगी। वायु सेना एलसीए ट्रेनर कॉन्फ़िगरेशन के आधार पर तेजस मार्क-2 की 3 स्क्वाड्रन खरीद सकती है, तब रूसी मिग वेरिएंट की जगह मध्यम-वजन के लड़ाकू जेट तेजस मार्क-2 लेंगे। वायु सेना इस साल से 2025 तक चरणबद्ध तरीके से मिग-21 बाइसन की 4 स्क्वाड्रनों को सेवानिवृत्त करेगी। इसके अलावा 2035 तक मिग-21 बाइसन, मिराज और जगुआर लड़ाकू विमानों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त लिया जाना है। जगुआर लड़ाकू विमानों की छह स्क्वाड्रन 2025 से 2032 तक चरणबद्ध तरीके से सेवानिवृत्त होंगी। इसी तरह मिग-21 की तीन स्क्वाड्रन को 2024 तक सेवानिवृत्त किया जाएगा। इसके बाद अगले दशक के अंत तक मिराज-2000 और मिग-29 बेड़े में से प्रत्येक की तीन-तीन स्क्वाड्रनों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जाएगा।

 डीआरडीओ ने दिसंबर, 2024 में तेजस मार्क-2 की पहली उड़ान निर्धारित की है और 2027 तक चार प्रोटोटाइप बनाने की योजना है। इस दशक के अंत तक इसके वायु सेना बेड़े में शामिल होने की उम्मीद है। एलसीए तेजस मार्क-2 के परियोजना निदेशक डॉ. वी मधुसूदन राव ने कहा कि एलसीए मार्क-2 पूरी तरह से मार्क-1 और मार्क-1ए से अलग है। यह एक नया डिजाइन है और इसने वायु सेना के मिराज-2000, मिग-29 और जगुआर लड़ाकू विमानों के बेड़े को बदलने के लिए अपनी क्षमताओं को बढ़ाया है। यह विमान 6.5 टन हथियार ले जा सकता है और इसमें 11 हार्ड पॉइंट हैं जबकि मार्क-1 में सात हार्ड पॉइंट हैं। उन्होंने कहा कि मार्क-1 में 2,450 किलोलीटर आंतरिक ईंधन ले जाने की क्षमता है, जबकि मार्क-2 में 3,320 किलोलीटर की आंतरिक क्षमता होगी है। यह 4700 किलोलीटर ईंधन को बाहरी रूप से ले जा सकेगा।
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