नई दिल्ली, 05 दिसंबर (हि.स.)। दिल्ली के छावला गैंगरेप की पीड़ित युवती के माता-पिता ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। तत्कालीन चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने 7 नवंबर को छावला गैंगरेप मामले के दोषियों को बरी कर दिया था। इस मामले के दोषियों ने कोर्ट से मिली मौत की सजा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
यह घटना 9 फरवरी, 2012 की है, जब रात में नौकरी से लौटते समय राहुल, रवि और विनोद ने उत्तराखंड की अनामिका को जबरन अपनी लाल इंडिका गाड़ी में बैठा लिया। तीन दिन बाद उसकी क्षत-विक्षत लाश हरियाणा के रेवाड़ी के एक खेत में मिली थी। अनामिका के साथ गैंगरेप के अलावा कार में इस्तेमाल होने वाले औजारों से पीटा गया था। उसके ऊपर मिट्टी के बर्तन फोड़े गए थे और सिगरेट से दागा गया था। यहां तक कि उसके स्तन को भी गर्म लोहे से दागा गया। निजी अंग में औजार और शराब की बोतल डाली गई। उसके चेहरे को तेजाब से जलाया गया।
इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने 2014 में तीनों को रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने भी ट्रायल कोर्ट के फांसी के आदेश को बरकरार रखा था। कोर्ट ने ही पीड़ित युवती का नाम अनामिका रखा था। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने तीनों को फांसी की सजा की पुष्टि की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि पीड़ित युवती के साथ अकल्पनीय दरिंदगी हुई।