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हिमाचल प्रदेश में भूकंप के तेज झटके, इस बार चंबा रहा केंद्र, 119 वर्ष पहले की तबाही याद आई

देश के हिमालयी राज्य हिमाचल प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में गुरुवार रात भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। इस बार इसका केंद्र चंबा जिला रहा। रात 9 बजकर 34 मिनट पर आए इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5 दशमलव 3 मापी गई। इस भूकंप की गहराई जमीन की सतह से 10 किलोमीटर नीचे रही। इसका असर कांगड़ा, हमीपुर, बिलासपुर, मंडी, सोलन और शिमला तक महसूस किया गया। यह भूकंप ऐसे समय पर आया जब लोग सोने की तैयारी कर रहे थे। तेज झटके महसूस होने के बाद चंबा में लोग घरों से बाहर निकल गए। चंबा से सटे कांगड़ा जिले में भी लोगों ने झटके महसूस किए। फिलहाल भूकंप की वजह से जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक सुरेंद्र पॉल ने बताया कि भूकंप की तीव्रता ज्यादा रही, लेकिन कहीं भी नुकसान नहीं हुआ। प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में इससे पहले भी कई बार भूकंप आ चुका है। तीन दिन पहले लाहौल स्पीति जिला में 3.5 की तीव्रता का भूकंप आया था। पिछले महीने पांच मार्च को मंडी जिला 3.2 तीव्रता का भूकंप आया था। उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश भूकंप के लिहाज से काफी संवेदनशील है। इसे जोन चार और पांच की श्रेणी में रखा गया है। 1905 में चार अप्रैल को कांगड़ा और चंबा जिलों में 7.8 तीव्रता के भूकंप ने भारी तबाही मचाई थी। एक अनुमान के अनुसार इस भूकंप में 10 हजार से अधिक लोग मारे गए थे। शक्तिपीठों और मंदिरों के गढ़ कांगड़ा जिला के ज्यादातर ऐतिहासिक भवन और धार्मिक स्थल क्षतिग्रस्त हो गए थे। बैजनाथ मंदिर को आंशिक नुकसान पहुंचा था। बाजार तो लगभग तबाह हो गए थे। कांगड़ा किला, कांगड़ा मंदिर, सिद्धनाथ मंदिर पूरी तरह जमींदोज हो गए थे।  
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