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भवानीपुर काली मंदिर का इतिहास दो सौ वर्ष पुराना

भागलपुर, 15 अक्टूबर (हि.स.)। पुलिस जिला नवगछिया के भवानीपुर काली मंदिर का इतिहास करीब दो सौ चार वर्ष पुराना है।

रंगरा प्रखंड अंतर्गत भवानीपुर स्थित श्री दक्षिणेश्वरी काली मंदिर के बारे में विश्वास झा एवं त्रिपुरारी कुमार भारती बताते हैं कि सच्चे मन से जो भी भक्त मैया से कुछ भी मुराद मांगते हैं, मैया उनकी मुरादे अवश्य पूरी करती हैं। इस कारण यहां दूर-दूर से श्रद्धालु पूजा करने आते हैं।

उन्होंने बताया कि सोनरा बहियार में गांव के बच्चों ने खेल-खेल में पहले मिट्टी से मां काली की प्रतिमा बना दी। इसके बाद बच्चों ने किसी का पाठा पकड़ लाया और काली माता का जयकारा लगाते हुए उस पाठा के गर्दन पर कुश चला दिया। देखते ही देखते उस पाठा की गर्दन कटते ही पाठा की बलि चढ़ गई। यह देखते ही बच्चे घबरा गये और भागते हुए सभी अपने-अपने घर पहुंचे। घर पहुंचते ही सबों ने अपने यहां उक्त घटना के बारे में बताया। तत्काल बुजुर्गों के कहने पर बच्चों ने मां काली की निर्मित मिट्टी की प्रतिमा को गंगा जल में विसर्जित कर दिया। उसी रात बालमुकुंद पोद्दार के पिता भूसी पोद्दार को मां काली ने स्वप्न में दर्शन दिया और कहा कि मेरी प्रतिमा गंगा जल से निकालकर मंदिर में स्थापित करो और मुझे पाठा का बलि चढ़ाओ। तब भूसी पोद्दार ने ग्रामीणों की मदद से गंगा जल से मां काली की मिट्टी की निर्मित प्रतिमा निकालकर भवानीपुर में स्थापित किया। तब से बालमुकुंद परिवार के वंशज द्वारा मूर्ति पूजा प्रारंभ हुई। जब वे लोग पूजा की पूरी व्यवस्था करने में अक्षम होने लगे तो ग्रामीणों द्वारा सार्वजनिक मंदिर का निर्माण करा कर माता को स्थापित किया गया। प्रतिमा स्थापित होने के बाद आज भी बालमुकुंद पोद्दार के वंशज भूसी पोद्दार के घर से नैन व बलि देने की प्रथम पद्धति प्रथा चली आ रही है। नैन देते हीं मैया को रात्रि में ही बलि चढ़ाया जाता है।

ग्रामीणों एवं बाहर से आए श्रद्धालुओं द्वारा हजारों पाठाओं की बलि और लगभग पांच से सात भैंसों की भी बलि दी जाती है। मान्यता है कि जो भी सच्चे मन से मां काली का सुमिरन कर मुराद मांगते हैं और जब उनकी मुरादें पूरी हो जाती है तो श्रद्धालु सोने व चांदी की बिंदी पाठा, झांप, नथ-टीका, मुंडमाला, पायल सहित अन्य तरह का चढ़ावा चढ़ाते हैं। 24 अक्टूबर को दीपावली की रात्रि वैदिक मंत्रोच्चार के साथ प्रतिमा स्थापित होगी।

दो दिवसीय मेले का आयोजन 25 एवं 26 अक्टूबर को होगा। 25 एवं 26 अक्टूबर को रात्रि 8 बजे से प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा देवी भक्ति जागरण व झांकी का भव्य आयोजन के अलावे 26 अक्टूबर को संध्या 5 बजे प्रकांड विद्वानों द्वारा बनारस की तर्ज पर शंखनाद से महाआरती का आयोजन होना तय है। 25 एवं 26 अक्टूबर को विराट दंगल का आयोजन दोपहर 1 बजे से किया जाएगा। जिसमें दूरदराज के पहलवान अपने बाजुओं की आजमाइश करते नजर आएंगे। 26 अक्टूबर को संध्या 7 बजे स्थानीय कालीघाट में प्रतिमा विसर्जन किया जाएगा।

पूजा समिति के सदस्यों में से मंदिर व्यवस्थापक प्रशांत कुमार, राम जी पोद्दार, हरिकिशोर झा, मुख्य पुजारी पंडित प्रभात झा, मंदिर के पुजारी अमित झा, सुबाली यादव, कैलाश यादव सहित अन्य सदस्य मेला व्यवस्था में लगे हुए हैं।

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