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ओडिशा ट्रेन हादसा : पूरी रात खेत में गुजारी, हर ओर था लाशों का ढ़ेर

बेगूसराय, 04 जून (हि.स.)। ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण ट्रेन हादसे के बाद पूरा देश सदमे में है। ओडिशा से लेकर पश्चिम बंगाल तक के विभिन्न अस्पतालों में घायल यात्रियों के इलाज के लिए ना सिर्फ सरकारी तंत्र, बल्कि निजी अस्पताल भी सक्रिय है।लेकिन बिहार आए घायलों के इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं है। हालत यह है कि बिहार सरकार द्वारा नंबर वन अस्पताल का दर्जा प्राप्त बेगूसराय सदर अस्पताल में भर्ती घायल यात्रियों का 12 घंटे के बाद एक्स-रे हुआ है।

रात में नौ बजे यह लोग सदर अस्पताल में भर्ती हुई और रविवार की सुबह दस बजे के बाद एक्स-रे आदि करने वाली टीम पहुंची।सुबह तक परिजनों को कहा जा रहा था कि रविवार को छुट्टी है, सोमवार को एक्स-रे होगा। समस्या विभिन्न स्रोत से सामने आने के बाद सिविल सर्जन सदर अस्पताल पहुंचे और यहां भर्ती तीनों घायल का एक्स-रे करवाकर समुचित इलाज शुरू कराया गया है।

ट्रेन हादसा के बाद निजी एंबुलेंस से बेगूसराय आकर सदर अस्पताल में भर्ती हरदिया निवासी हैदर ने बताया कि अपने छह साथियों के साथ कोरोमंडल एक्सप्रेस से चेन्नई मजदूरी करने जा रहा था। इसी दौरान हादसे का शिकार होने पर निजी एंबुलेंस कर बेगूसराय आ गया। ताकि परिवार के सामने इलाज हो।

हैदर ने बताया कि वे लोग गुरुवार को बरौनी से गंगासागर एक्सप्रेस पकड़कर बंडेल गए। वहां से हावड़ा और हावड़ा से शालीमार जाकर दोपहर 3:20 बजे कोरोमंडल एक्सप्रेस के जनरल बोगी में चेन्नई जाने के लिए सवार हुए थे। खाना खाकर सोने की तैयारी कर रहे थे, इसी दौरान अचानक जोरदार आवाज के साथ बोगी पलट गई।

हम लोग कुछ समझ नहीं पाए। मैं, अली, नसरुल्ला और अखलाक एक जगह बैठे हुए थे। चारों किसी तरह से बाहर निकले, पूरा शरीर खून से सना हुआ था। लेकिन साथी बलुआरा निवासी तस्लीम और एक अन्य दूसरे जगह बैठे हुए थे। उनका कुछ पता नहीं चला।

रात हम लोगों ने खेत में गुजारी। सुबह घटनास्थल पर लगाए गए कैंप में प्राथमिक उपचार के बाद दूसरे का मोबाइल लेकर परिजनों से बात किया तो परेशान घरवाले ने एक परिचित को कोलकाता से भेजा। उसके बाद 32 हजार में प्राइवेट एंबुलेंस कर हम चार लोग बेगूसराय आए। तीन लोग सदर अस्पताल में भर्ती हैं, जबकि कमर की हड्डी टूट जाने के कारण नसरुल्ला का इलाज निजी अस्पताल में चल रहा है।

उन्होंने बताया कि बलुआरा निवासी तस्लीम एवं आरिया हावड़ा के अस्पताल में भर्ती हैं। हैदर का कहना है ऊपर वाले की कृपा से हम लोगों की जान बच गई। ट्रेन से जब निकले थे तो हर ओर लाशों का ढ़ेर लगा हुआ था। कहीं पर हाथ और कहीं कटा पैर मन को बेचैन कर रहे थे। पूरी रात बगल के खेत में गुजारी, जहां मौत का भय नहीं था। लेकिन मौत से डर पूरी रात लगता रहा।


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