नई दिल्ली, 07 नवंबर (हि.स.)। भारतीय सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने गुरुवार को गोवा में भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर सवार होकर समुद्र में नौसेना के परिचालन अभियानों को देखा। नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी और पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल संजय जे सिंह ने नौसेना वायु स्टेशन आईएनएस हंसा पर राष्ट्रपति की अगवानी करके स्वागत किया। उनके आगमन पर 150 जवानों की एक औपचारिक 'गार्ड ऑफ ऑनर' परेड भी की गई।
राष्ट्रपति मुर्मु आज गोवा के समुद्र में स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर सवार हुईं, जिसमें भारतीय नौसेना के 15 अग्रणी युद्धपोत और पनडुब्बियां भी शामिल थीं। यह राष्ट्रपति मुर्मु का समुद्र में भारतीय नौसेना के जहाजों का पहला दौरा था। राष्ट्रपति को भारतीय नौसेना की भूमिका और चार्टर तथा संचालन की अवधारणा के बारे में जानकारी दी गई। इसके बाद राष्ट्रपति ने कई नौसेना अभियानों को देखा, जिसमें डेक आधारित लड़ाकू विमानों का टेक-ऑफ और लैंडिंग, युद्धपोत से मिसाइल फायरिंग अभ्यास, पनडुब्बी संचालन, 30 से अधिक विमानों का फ्लाईपास्ट और युद्धपोतों का पारंपरिक स्टीम-पास्ट शामिल था। मिग-29 के लड़ाकू विमान ने विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत से अपने अभियानों का प्रदर्शन किया।
राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान आईएनएस विक्रांत पर नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने कर्मियों को संबोधित करते हुए कहा कि यह हम सभी के लिए गर्व की बात है कि भारत दुनिया के उन छह देशों में से एक है, जो अपने दम पर एसएसबीएन (परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी) और विमानवाहक पोत दोनों का निर्माण और संचालन करता है। राष्ट्रपति ने दोपहर के भोजन पर आईएनएस विक्रांत के चालक दल के साथ भी बातचीत की, जिसके बाद उन्होंने बेड़े को संबोधित किया, जिसे समुद्र में सभी इकाइयों में प्रसारित किया गया। गोवा पहुंचने पर डाबोलिम हवाई अड्डे पर गोवा के राज्यपाल पीएस श्रीधरन पिल्लई और मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने राष्ट्रपति का स्वागत किया। ------------------