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मोटे अनाज के उत्पादन में राजस्थान देशभर में पहले स्थान पर

जयपुर, 05 अप्रैल (हि.स.)। राजस्थान मोटे अनाज (मिलेट्स) के उत्पादन में देशभर में सबसे ऊपर है। देश के मोटे अनाज के उत्पादन में राज्य की हिस्सेदारी 28.6 प्रतिशत है और खेती के क्षेत्रफल में 36 प्रतिशत हिस्सेदारी है। भारत की पहल पर संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किया है। हमारा देश पूरे विश्व में मोटे अनाज के उत्पादन में पहले स्थान पर है। सुपर फूड कहलाने वाले मोटे अनाज के प्रति वैश्विक स्तर पर जागरुकता पैदा हुई है। दुनियाभर में इसकी स्वीकार्यता तेजी से बढ़ रही है। मोटे अनाज में बाजरा, ज्वार, रागी एवं कोदो जैसे अनाज को शामिल किया गया है। इनमें पोषक तत्वों की मात्रा ज्यादा होने तथा प्रोटीन, विटामिन-बी एवं खनिज भरपूर मात्रा में होने के कारण वैज्ञानिकों ने मोटे अनाज को पौष्टिक धान्य का दर्जा दिया है। वैज्ञानिकों ने माना है कि सम्पूर्ण पोषण के लिए भोजन में बाजरा, ज्वार, कंगनी, सांवा, कोदो, कुटकी एवं रागी धान्य को शामिल किया जाना चाहिए। कृषि आयुक्त कानाराम ने बताया कि राज्य में पैदा होने वाले मोटे अनाज में बाजरा और ज्वार प्रमुख हैं। बाजरे के उत्पादन में 41.7 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ राज्य देश में पहले पायदान पर है, वहीं ज्वार के उत्पादन में तीसरे पायदान पर है। राज्य के दक्षिणी जिलों- डूंगरपुर, बांसवाड़ा, जालोर एवं सिरोही के क्षेत्रों में मोटे अनाज में सांवा, कांगनी, कोदो तथा कुटकी का उत्पादन भी किया जाता है। कानाराम ने बताया कि राज्य सरकार ने मोटे अनाज के उत्पादन में वृद्धि एवं घरेलू खपत को बढ़ाने के लिए वर्ष 2022-23 में राजस्थान मिलेट प्रोत्साहन मिशन प्रारंभ किया है। साथ ही कृषकों, उद्यमियों तथा स्वयंसेवी संस्थाओं को 100 प्राथमिक प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिए 40 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। राज्य सरकार ने पोष्टिक भोजन उपलब्ध कराने की दृष्टि से मिड-डे-मील, इंदिरा रसोई एवं आईसीडीएस योजनाओं में मोटे अनाज को शामिल किया है।
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