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आरबीआई का वित्त वर्ष 2023-24 में विकास दर 6.4 फीसदी रहने का अनुमान

नई दिल्ली/मुंबई, 08 फरवरी (हि.स.)। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने वैश्विक स्तर पर बढ़ते संकट के मद्देनजर वित्त वर्ष 2023-24 में आर्थिक वृद्धि दर धीमी पड़कर 6.4 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। आरबीआई का चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 7 फीसदी के अनुमान से कम है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को तीन दिवसीय द्विमासिक मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की समीक्षा बैठक के बाद यह जानकारी दी। शक्तिकांत दास ने कहा कि रिजर्व बैंक के आंतरिक सर्वेक्षण के मुताबिक विनिर्माण, सेवा और बुनियादी ढांचा क्षेत्र की कंपनियां कारोबारी परिदृश्य को लेकर वे आशान्वित है। उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक तनाव, विभिन्न देशों में वित्तीय स्थिति कड़ी होने तथा विदेशों में कमजोर मांग की स्थिति घरेलू परिदृश्य के लिए जोखिम हैं। रिजर्व बैंक गवर्नर ने बताया कि स्थिर मूल्य पर वित्त वर्ष 2023-24 में जीडीपी वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। दास ने कहा कि अगले वित्त वर्ष में अप्रैल-जून और जुलाई-सितंबर तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर क्रमश: 7.8 फीसदी और 6.2 फीसदी रहने का अनुमान है। अक्टूबर-दिसंबर और जनवरी-मार्च तिमाही में इसके क्रमश: छह फीसदी और 5.8 फीसदी रहने का अनुमान है। शक्तिकांत दास ने कहा कि अर्थव्यवस्था की चुनौतियों से निपटने के लिए आरबीआई का मौद्रिक नीति के स्तर पर तत्परता से कदम उठाने का सिलसिला आगे जारी रहेगा। इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को वित्त वर्ष 2023-24 के लिए केंद्रीय बजट पेश करते वक्त जीडीपी वृद्धि दर 6.5 फीसदी और मौजूदा वित्त वर्ष के लिए सात फीसदी रहने का अनुमान जताया था। कई प्रमुख अर्थशास्त्रियों और रेटिंग एजेंसियों ने भी देश की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर छह से 6.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है।
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